Posted on Friday 20th December 2019 at 17:45
तीन महीने से गैरहाज़र चल रहे हैडकांस्टेबल ने ऐंठ लिए छह हज़ार रूपये
लुधियाना: 20 दिसंबर 2019: (लुधियाना स्क्रीन ब्यूरो)::
जुर्म की दुनिया में यह कहानी भी बहुत हद तक फ़िल्मी सी लगती है लेकिन साथ ही इशारा करती है पुलिस के नाम पर छाई उस दहशत की तरफ जो लोगों के दिलों में घर कर चुकी है। बात बस इतनी थी कि एक दवा विक्रेता इस बात से बुरी तरह से घबरा गया कि यह पुलिस वाला है न जाने क्या क्या कर देगा। इसी हड़बड़ी में वह छह लाख रूपये गंवा बैठा। मामला दर्ज करने की धमकी देकर एक हेड कांस्टेबल ने राजगुरु नगर के एक मेडिकल स्टोर मालिक से 6 लाख रुपए हड़प लिए।
नियमों के मुताबिक तो हर दवा विक्रेता को हर दवा डाक्टर की पर्ची देख कर ही देनी चाहिए और खरीदने वाले की जानकारी भी दर्ज करनी होती है लेकिन अपने समाज में कहां होता है यह सब? बस इसी लापरवाही या छूट का फायदा उठाकर आरोपी उसकी तरफ से दी गई दर्द की दवा से व्यक्ति की मौत होने की बात कह रहा था। कुछ दिन बाद इसी पुलिस वाले ने जब स्टोर मालिक से और पैसे मांगे तो दवा विक्रेता तंग आ गया। छह लाख रूपये गंवा चुकने के बाद अब उसकी और हिम्मत भी नहीं बची थी। इधर कूंआ उधर खाई। दिल डर भी रहा था। उसे लगता था कि खतरा दोनों तरफ है। आखिर दवा विक्रेता ने दिमाग का कहा माना। उसने पुलिस विभाग के उच्च अफसरों को इस सारे मामले की शिकायत दी। पुलिस ने भी इसका गंभीर नोटिस लिया। इस पर जांच के बाद आरोपी पर कार्रवाई हुई। सराभा नगर थाने की पुलिस ने राजगुरु नगर के सवरन सिंह की शिकायत पर संगरूर के बलवीर सिंह और जगतजीत सिंह के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। इसके साथ ही पुलिस ने कार्रवाई के नाम पर भी ठोस कदम उठाए।
पुलिस ने अपनी जांच और कार्रवाई में आरोपी बलवीर सिंह को गिरफ्तार कर लिया। बलवीर सिंह शिवम कलोनी संगरूर का रहने वाला है। उसे अदालत में पेश कर एक दिन के रिमांड पर लिया गया है। दूसरे आरोपी जगतजीत सिंह की भी तलाश की जा रही है। एसएचओ मधु बाला ने मीडिया को बताया कि आरोपी बलवीर सिंह पंजाब पुलिस का मुलाज़िम है और बतौर हेड कांस्टेबल तैनात है। मौजूदा समय में उसकी ड्यूटी पुलिस लाइन में थी। पुलिस के इस एक्शन ने एक बार फिर पुलिस की साख को आम जनता के दिलों में बहाल किया है।
दिलचस्प बात है कि अफसरों को कंप्लेंट के बाद ही यह सब संभव हो पाया। इस केस में पर्चा भी दर्ज हुआ और गिरफ्तारी भी हुई।
प्राप्त विवरण के मुताबिक पुलिस को दिए बयानों में शिकायतकर्ता ने बताया कि राजगुरु नगर में उसकी दुकान बेदी मेडिकल हॉल के नाम से है। आरोपी हेड कांस्टेबल बलवीर सिंह उसका जानकार है। बलवीर ने उसे 5-6 महीने पहले फोन कर धमकियां देनी शुरू कर दी। उसने शिकायतकर्ता को कहा कि उसकी दुकान से दर्द की दवा लेकर गया एक व्यक्ति मर गया है। उसकी मौत का कारण दर्द की दवा है, इसलिए वह उस पर एफआईआर दर्ज करवाएगा। यह सुनकर वह डर गया और उसके जाल में फंस गया। इसके चलते हेड कांस्टेबल बलवीर ने पहले उससे तीन लाख रुपए ले लिए। इसके बाद फिर धमकियां देकर तीन लाख रुपए और हड़प लिए। मगर फिर कुछ दिन बाद बलवीर ने फिर उसे फोन कर एक लाख रुपए और मांगे। इतने रूपये दे चुकने के बाद दवा विक्रेता की बस हो चुकी थी। इस पर शिकायतकर्ता ने पुलिस को सूचित किया।
मानवीय संबंधों में आ रही नैतिक गिरावट के पता भी इसी मामले से चलता है। दवा विक्रेता और उसे ठगने वाला दोनों आपस में जानकार भी हैं। जानकार होने का फायदा उठा के ही उसे ठगा गया। पुलिस पूछताछ में आरोपी हेड कांस्टेबल बलवीर ने बताया कि शिकायतकर्ता उसका जानकार है। वह कई बार उसके पास आता था। इसी के चलते उसे पता था कि उससे किस तरीके से डरा धमकाकर पैसे लेने हैं। अपने इस नापाक इरादे को कामयाब बनाने के लिए उसने मोबाईल नंबर बदल बदल कर दवा विक्रेता को फोन किये और सारा जाल बुना। इसके चलते उसने वही तरीका अपनाकर फोन करना शुरू कर दिया। जबकि अभी तक उसके साथी जगतजीत सिंह का पता नहीं चल पाया है। पुलिस उसकी भी तलाश कर रही है।
दवा विक्रेता को ठगने वाला आरोपी हेड कांस्टेबल 2 माह से ड्यूटी से गैर-हाजिर भी चल रहा था।
एसएचओ मधुबाला के मुताबिक आरोपी बलवीर सिंह पहले नारकोटिक्स सेल में तैनात था, लेकिन फिर उसका एक्सिडेंट हो गया। चोट लगने के कारण ज्यादा काम न हो पाने की वजह से उसकी बदली पुलिस लाईन में कर दी गई। पिछले तीन महीने से वह लाईन में ही था, लेकिन पुलिस जांच में पता चला है कि आरोपी पिछले दो महीने से गैर-हाजिर चल रहा है। वह ड्यूटी पर नहीं आ रहा था। आरोपी के खिलाफ विभाग की ओर से भी जांच की जा रही है। सूत्रों के अनुसार आरोपी की ओर से इसके अलावा भी कई लोगों से डरा धमकाकर पैसे हड़पेहैं। पुलिस जांच और न्याय प्रणाली इस मामले क्या कदम उठाते हैं लेकिन एक बात साफ़ है कि समाज में ऐसा आतंक होने से ही बहुत से मामले पुलिस के जानकारी में भी नहीं पहुंचते। लोग डर और दुविधा के कारण अपने साथ हो रहा जुर्म बताने में देर कर जाते हैं। लोग यदि हिम्मत करें तो पुलिस एक्शन भी लेती है।
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